अंक ज्योतिष, जिसे न्यूमरोलॉजी (Numerology) भी कहा जाता है, अंकों के माध्यम से भविष्यवाणी करने की प्राचीन विद्या है। यह विद्या यह मानती है कि हमारे जीवन में अंकों का गहरा प्रभाव होता है, और इन्हीं अंकों के आधार पर हम अपने जीवन की दिशा और भविष्य को समझ सकते हैं। यदि आप अंक ज्योतिष सीखना चाहते हैं, तो निम्नलिखित चरणों को समझकर आप इसे आसानी से समझ सकते हैं।
1. मूल अंक (Core Numbers) की समझ विकसित करें
अंक ज्योतिष में 1 से 9 तक के अंकों का प्रमुख महत्व होता है। प्रत्येक अंक का अपना एक अर्थ और प्रभाव होता है। उदाहरण के लिए:- अंक 1 नेतृत्व, महत्वाकांक्षा और स्वतंत्रता का प्रतीक है।
- अंक 2 सहयोग, सामंजस्य और शांति का प्रतिनिधित्व करता है।
- अंक 3 रचनात्मकता और अभिव्यक्ति का प्रतीक है।
- इसी प्रकार अन्य अंकों के भी अलग-अलग महत्व होते हैं।
2. जन्मांक और भाग्यांक की गणना सीखें
अंक ज्योतिष का सबसे महत्वपूर्ण पहलू जन्मांक और भाग्यांक की गणना है।- जन्मांक व्यक्ति की जन्मतिथि के आधार पर निकाला जाता है। यदि किसी व्यक्ति का जन्म 25 तारीख को हुआ है, तो उसका जन्मांक (2 + 5 = 7) होगा।
- भाग्यांक किसी व्यक्ति की जन्मतिथि, जन्म महीना और जन्म वर्ष को जोड़कर निकाला जाता है। जैसे, अगर किसी का जन्म 25-12-1990 को हुआ है, तो (2 + 5 + 1 + 2 + 1 + 9 + 9 + 0 = 29) और (2 + 9 = 11 और 1 + 1 = 2) भाग्यांक होगा।
3. अंक ज्योतिष के नियम और सिद्धांत समझें
अंक ज्योतिष में कुछ प्रमुख नियम और सिद्धांत होते हैं, जैसे:- मास्टर नंबर: कुछ अंकों को मास्टर नंबर माना जाता है, जैसे 11, 22, और 33, जिनका विशेष महत्व होता है।
- दोहराए जाने वाले अंक: जब किसी व्यक्ति के जीवन में कोई अंक बार-बार आता है, तो उसका विशेष प्रभाव होता है।
- नामांक: व्यक्ति के नाम के आधार पर भी अंक निकाले जाते हैं, जो उनके व्यक्तित्व और जीवन की दिशा को दर्शाते हैं।