शतभिषा नक्षत्र के दौरान स्नान न करने का उल्लेख कुछ ज्योतिषीय मान्यताओं में किया जाता है, जो मुख्य रूप से धार्मिक और पारंपरिक कारणों से जुड़ा हुआ है। शतभिषा नक्षत्र का संबंध राहु ग्रह से होता है, और राहु को एक छायाग्रह माना जाता है, जो भ्रम और नकारात्मक प्रभावों का प्रतिनिधित्व करता है। इस नक्षत्र के समय कुछ विशेष क्रियाएं, जैसे स्नान, यात्रा, या नए कार्यों की शुरुआत, अशुभ मानी जाती हैं। इसके पीछे के कुछ कारण इस प्रकार हैं:
1. राहु का प्रभाव:
- शतभिषा नक्षत्र राहु ग्रह से जुड़ा हुआ है, और राहु को ज्योतिष में छाया ग्रह माना जाता है, जो भ्रम, अप्रत्याशित घटनाओं और नकारात्मक प्रभावों का कारक होता है।
- राहु की नकारात्मक ऊर्जा के कारण इस नक्षत्र में स्नान को वर्जित माना जाता है, क्योंकि इसे अशुभ प्रभाव से जोड़कर देखा जाता है। मान्यता है कि इस समय स्नान करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
2. शरीर और मन पर प्रभाव:
- शतभिषा नक्षत्र के दौरान स्नान करने से शरीर और मन पर राहु के प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है, जिससे मानसिक और शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं।
- इसे मानसिक अस्थिरता और रोगों के आगमन का कारक भी माना जाता है।
3. धार्मिक मान्यता:
- कई धार्मिक ग्रंथों में यह उल्लेख मिलता है कि शतभिषा नक्षत्र में कुछ खास कार्यों, जैसे यात्रा, स्नान, या नए कार्यों की शुरुआत, से बचना चाहिए, क्योंकि यह समय राहु की नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित होता है।
- इसलिए परंपरागत रूप से इस समय स्नान करने से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि अशुभ प्रभावों से बचा जा सके।
उपाय और सलाह:
- यदि शतभिषा नक्षत्र के दौरान स्नान करना आवश्यक हो, तो स्नान से पहले भगवान विष्णु या शिव का ध्यान करें और पवित्र मंत्रों का जाप करें, जिससे नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।
- राहु ग्रह को शांत करने के लिए राहु मंत्र का जाप कर सकते हैं:
- इस समय अन्य अशुभ प्रभावों से बचने के लिए शांति और संयम का पालन करें, और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।